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सब हैं अकेले, भोले ही ठेलें, देश को भी

कांवड़ियों के साथ चला कुछ, तो एक नारा सुनाई दिया - सब हैं अकेले, भोले ही ठेलें। एक सीनियर कांवड़िए ने बताया कि हम सब अकेले ही हैं, संसार में किसी पे भरोसा नहीं। भोले बाबा ही ठेल रहे हैं सबको जी। असम में मार-ट हो रही है। रेलें खड़ी रहीं असम में।



ओफ्फो, जिम्मेदारी तो रेल मंत्री की है। जी रेल मंत्री ममता बनर्जी कोटे से आते हैं, कभी दफ्तर आते हैं, कभी नहीं ही आते हैं। रेल में जाना, जान बचाना पब्लिक की जिम्मेदारी है जी। अपना जान-माल बचाना पब्लिक की ही जिम्मेदारी है। सरकार तो खुद को बचाने में आफत महसूस कर रही है। ओफ्फो, असम की हालत की जिम्मेदारी गृह मंत्रीजी की भी है। जी गृहमंत्रीजी का इशू थोड़ा फंसा-सा है। दिल्ली की मुख्यमंत्री हो सकती हैं नई केंद्रीय गृह मंत्री। अब के गृह मंत्री चिदंबरमजी कहां जाएंगे, इसे लेकर कुछ क्लियर नहीं है। गृह मंत्रालय आप मानकर चलो कि फिलहाल है ही नहीं।



ओफ्फो, छोड़िए असम को, महंगाई जान मार रही है दिल्ली में, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। जी वित्त मंत्री टेक्निकली अभी कोई है नहीं। यूं प्रधानमंत्रीजी खुद वित्त मंत्री हैं। पर उनकी जान को झमेले दूसरे हैं। कृषि मंत्री शरद पवार को मनाने में बहुत टाइम जाता है। पीएम अपने मंत्रियों के प्रति जिम्मेदार हैं। पब्लिक के प्रति जिम्मेदारी का नंबर जब आएगा, तब आएगा।



ओफ्फो, खेती किसानी का क्या हाल है, फसलें बर्बाद हो रही हैं। कृषि मंत्री इस संबंध में कुछ बताएंगे या नहीं। जी, जब तक फिर रूठ ना जाते, यूं शरद पवार जी ही कृषि मंत्री हैं, पर जी उन्हें आप कृषि मंत्री ना ही मानो। रूठना, फिर रूठे रहना, फिर मान जाना, फिर रूठना, पत्र लिखना, पीएम, सोनिया गांधीजी से मिलना। ये सब बहुत टाइमटेकिंग काम हैं। आप यूं मानो कि कृषि मंत्री हैं ही नहीं। रेल मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और कृषि मंत्री - ये सब हैं और यूं नहीं भी। फिर भी देश चल रहा है जी। मैं तो उस कांवड़िए की बात से पूरे तौर पर सहमत हूं कि सब हैं अकेले, भोले ही ठेलें, देश को भी।

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