सिकन्दर को महान क्यों कहा गया?
सिकन्दर को महान क्यों कहा गया?
सुनील कुमार, मुज़फ्फरनगर
सिकन्दर यूनानी प्रायद्वीप के छोटे से देश मकदूनिया का राजा था। उसका जन्म 356 ईपू हुआ था। वह प्रसिद्ध विचारक सुकरात का शिष्य था। युरोप से शुरू करके एशिया माइनर, फारस, मिस्र और फिर भारत तक लड़ाइयाँ जीतकर वह एक अर्थ में पहला विश्व विजेता था। वह बेहद महत्वाकांक्षी था और दुनिया के अंत तक पहुँचना चाहता था। उसे महान बनाने वाली दो-तीन बातें हैं। एक, वह अपने सैनिकों के आगे खुद रहकर लड़ाई लड़ता था। दूसरे, जिस राज्य पर विजय पाता था, कोशिश करके उसे ही अपना राज-पाट चलाने देता था, सिर्फ अपनी अधीनता स्वीकार कराता था। उसका युद्ध कौशल आज भी दुनियाभर की सेनाओं के कोर्स में शामिल है। सबसे बड़ी बात यह कि वह 33 साल की उम्र में दुनिया से विदा हो गया। इतनी कम उम्र में इतनी उपलब्धियों के साथ।
मैगसेसे अवार्ड कब से दिए जाते रहे हैं? भारत के किन-किन लोगों को ये पुरस्कार मिल चुके हैं?
सोनल
फिलीपीन्स के पूर्व राष्ट्रपति रैमन मैगसायसाय के नाम से यह पुरस्कार अप्रैल 1957 से शुरू हुआ है। अंग्रेजी स्पेलिंग के कारण हम इसे मैगसेसे लिखते हैं। शुरू में यह पुरस्कार पाँच क्षेत्रों में काम करने पर दिया जाता था, जो इस प्रकार हैः-1.सरकारी सेवा,2.सार्वजनिक सेवा,3.सामुदायिक नेतृत्व,4.पत्रकारिता, साहित्य और सृजनात्मक संचार-कलाएं,5.शांति और अंतरराष्ट्रीय सद्भाव। सन 2001 में इसमें नव-नेतृत्व और जोड़ा गया। अब तक 35 से ज्यादा भारतीयों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैः-सीडी देशमुख, विनोबा भावे, जय प्रकाश नारायण, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, सत्यजित राय, बाबा आम्टे, आर के लक्ष्मण, महाश्वेता देवी, मदर टेरेसा, वैल्दी फिशर, चंडी प्रसाद भट्ट, किरण बेदी, अरुणा राय, अरविन्द केजरीवाल।
पुरस्कार के विवरण और पुरस्कार पाने वालों की पूरी सूची के लिए विकीपीडिया में पढ़ें
जंतर-मंतर का निर्माण क्यों किया गया? क्या दिल्ली के अलावा यह कहीं और भी है?
रोमा
जंतर-मंतर वेधशाला है। यानी अंतिरिक्षीय घटनाओं के निरीक्षण का स्थान। दिल्ली में इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारतीय अंतरिक्षीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का अच्छा उदाहरण है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है।
बारिश कराने में पेड़ों की भूमिका क्या है
पेड़ वर्षा कराने में ही नहीं जमीन पर और वातावरण में पानी का प्रबंध करने का काम करते हैं। पेड़ों की जड़ों से पत्तियों तक पानी पहुँचने के बाद वातावरण में मिलता है। बरसात में जब बादल पानी लेकर आते हैं, तब ये बादलों को रोककर बरसने में मदद करते हैं। रेगिस्तान के ऊपर वातावरण सूखा होता है, पर जंगलों के ऊपर नमी होती है। पेड़ों की पत्तियों से निकला पानी बादल बनाने में भी मदद करता है। बारिश होने पर पेड़ अपने आसपास का पानी पूरी तरह बहने नहीं देते। उसे रोककर रखते हैं, जो बाद में काम आता है। नदियों के किनारे पेड़ नदी के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। पेड़ वातावरण में पानी और हवा के मिश्रण से ऐसी धुंध तैयार करते हैं, जो हमें धूप के तीखे रेडिएशन से बचाती है।
चेहरे पर बने मुहासों और झाइयों के निशान हटाने के घरेलू उपाय बताइए।
रेखा
चेहरे पर एक्ने त्वचा के छिद्र बंद होने के कारण बनते हैं। खासतौर से ऑयली स्किन में। त्वचा साफ रखें। विटामिन सी झुर्रियां दूर करने में सबसे अधिक लाभकारी हैं। विटामिन सी को एस्कोरबिक एसिड भी कहते हैं। हरी मिर्च, फूल गोभी, स्प्राउट्स, सन्तरा, कीवी फूट, स्ट्राबैरी, टमाटर, पत्तेदार, हरी सब्जियां, पपीता, आम, तरबूज, रसभरी और अनानास इत्यादि में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता हैं। कोलाजेन प्रोटीन त्वचा को लचीला रखने में मदद करता है और त्वचा को झुर्रियों से बचाता है। इसके संकलन में विटामिन सी की मुख्य भूमिका होती है। विटामिन ई से भी त्वचा की कोशिकाओं को बनाने में मदद मिलती हैं और इससे त्वचा को मजबूती भी मिलती हैं। झाइयों से बचने के लिए जरूरी है कि आप तेज धूप से बचें।
झाइयां दूर करने के लिए आप नींबू, हल्दी और बेसन का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगा सकते हैं। घरेलू उपाय अपनाते हुए आप घर में ही स्क्रब कर सकती हैं। स्क्रब के लिए जौ के आटे में दही, नीबू का रश और पोदीने का रस मिलाकर चेहरे पर 2 से 3 मिनट तक मलें और लगभग 5मिनट के बाद चेहरा धो लें। अनिंद्रा भी झाइयों का कारण हो सकती है । रात को सोने से पहले चेहरे को जरूर धोए। ताजा टमाटर काटकर, उसके रस से चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करने से झाईयां दूर होती हैं है। चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आपका अंदरूनी स्वस्थ रहना जरूरी है ऐसे में आपको कम से कम रोजाना 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
उपग्रह के प्रक्षेपण के समय उल्टी गिनती का क्या मतलब है?
देवेन्दर चौधरी, ग्राम फरमाना, हरियाणा
काउंटडाउन सिर्फ रॉकेट छोड़ने के लिए ही इस्तेमाल नहीं होता। बलिक् इसकी शुरुआत कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी में नौका प्रतियोगिता में हुई थी। सन 1929 में फ्रिट्ज लैंग की एक जर्मन साइंस फिक्शन मूवी Die Frau im Mond में चंद्रमा के लिए रॉकेट भेजने के पहले नाटकीयता के लिए काउंटडाउन दिखाया गया। पर अब इस काउंटडाउन का व्यावहारिक इस्तेमाल भी होता है। आमतौर पर एक सेकंड की क संख्या होती है। सिर्फ टक-टक करने से पता नहीं लगता कि कितने सेकंड बाकी है। संख्या सीधे-सीधे बोलने से वास्तविक समय का पता रकता है। टीवी चैनलों के कंट्रोल रूम में कुछ समय पहले तक पैकेज रोल करने के पहले काउंट डाउन होता था। विमान को कॉकपिट में भी होता है।
कृपया फाइटिंग फिश के बारे में बताइए।
गौतम पाणिग्रही, लोधी कॉलोनी, नई दिल्ली
फाइटिंग फिश या सियामीज़ फाइटिंग फिश छोटी मछलियाँ हैं, जो एक्वेरियम में रखी जा सकती हैं। इनकी प्रवृति आक्रामक होती है और अक्सर दर्पण में अपनी छवि से भी भिड़ जाती हैं। जब एक मछली हार मानकर पीछे हट जाती है तो भिड़ंत पूरी मान ली जाती है। यह मछली पाँच सेमी तक लम्बी और अनेक रंगों में मिलती है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया आदि स्थानों में मिलती है।
जन्म लेते ही बच्चा रोता क्यों है?
गायत्री, छतरपुर, दिल्ली
यह बच्चे का रोना नहीं है बल्कि नए वातावरण में प्रवेश की निशानी है। उसकी आवाज उसके जीवित होने की निशानी है। माँ के पेट में बच्चे को जीवित रहने वाली सभी चीजें गर्भनाल के माध्यम से मिल रहीं थीं। बाहर आते ही उसे साँस लेने की जरूरत होती है। फेफड़े काम करना शुरू करते हैं। बाहर का तापमान फर्क होता है। इस परिवर्तन की प्रतिक्रिया बच्चे की पहली आवाजों से होती है।
ई-पेपर क्या होता है? पहला ई-पेपर कौन सा था?
राजीव
इंटरनेट पर आप ज्यादातर चीज़ें एचटीएमएल फॉर्मेट में पढ़ते हैं। पर ई-पेपर इलेक्ट्रॉनिक पेपर है। जैसा अखबार आप कागज़ पर छपा देखते हैं वैसा ही डिजिटल पेपर। इसे पीडीएफ, जेपीजी या किसी दूसरे फॉर्मेट में फाइल के रूप सेव भी किया जा सकता है। दुनिया का पहला ई-पेपर फ्लेमिश दैनिक द तीज़्द (द टाइम्स) फरबरी 2006 में वितरित किया गया।
क्या आज भी ग्रामोफोन रिकॉर्ड या एलपी मिलते हैं? कुछ फिल्मों के नाम बताएं, जिनके हाल में एलपी जारी किए गए हों
भुवनेश
तकनीक ने इतना विकास कर लिया है कि एलपी रिकॉर्ड बहुत पीछे चले गए हैं, पर भारतीय संगीत जगत में आज भी रिकॉर्ड जारी करने की खबरें मिल जाती हैं। अस्सी के दशक में मैग्नेटिक टेप पर संगीत आ गया था। उसके बाद डिजिटल संगीत ने उसे भी खत्म कर दिया। फिर भी कुछ फिल्मों का संगीत एलपी पर भी जारी हो रहा था। 1991 में फिल्म साजन, 1998 में दिल तो पागल है, 2004 में वीर ज़ारा के एल पी जारी हुए। पिछले साल यानी 2010 में झूठा ही सही और फिर तारे ज़मीन पर, तीस मार खां, थ्री ईडियट्स, पटियाला हाउस के एलपी जारी हुए। एआर रहमान के वंदे मातरम का एलपी भी जारी हुआ। पर यह अब खत्म होता जा रहा है।
अभिनेता प्रदीप कुमार का असली नाम?
विकास, रुड़की
प्रदीप बतब्याल
मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम?
अंकुर, मेरठ
गौरांग चक्रवर्ती
धार्मिक कृत्यों में तिलक लगाने का चलन कब से शुरू हुआ?
अभिलाष
प्राचीन वैदिक ग्रंथों में भी माथे पर टीके का विवरण मिलता है। पर आगे चलकर तिलक अलग-अलग सम्प्रदायों की पहचान बन गया। वैष्णवों, शैव और शाक्तों के तिलक अलग-अलग प्रकार को होते हैं।
एफएम गोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में शामिल सवाल
सुनील कुमार, मुज़फ्फरनगर
सिकन्दर यूनानी प्रायद्वीप के छोटे से देश मकदूनिया का राजा था। उसका जन्म 356 ईपू हुआ था। वह प्रसिद्ध विचारक सुकरात का शिष्य था। युरोप से शुरू करके एशिया माइनर, फारस, मिस्र और फिर भारत तक लड़ाइयाँ जीतकर वह एक अर्थ में पहला विश्व विजेता था। वह बेहद महत्वाकांक्षी था और दुनिया के अंत तक पहुँचना चाहता था। उसे महान बनाने वाली दो-तीन बातें हैं। एक, वह अपने सैनिकों के आगे खुद रहकर लड़ाई लड़ता था। दूसरे, जिस राज्य पर विजय पाता था, कोशिश करके उसे ही अपना राज-पाट चलाने देता था, सिर्फ अपनी अधीनता स्वीकार कराता था। उसका युद्ध कौशल आज भी दुनियाभर की सेनाओं के कोर्स में शामिल है। सबसे बड़ी बात यह कि वह 33 साल की उम्र में दुनिया से विदा हो गया। इतनी कम उम्र में इतनी उपलब्धियों के साथ।
मैगसेसे अवार्ड कब से दिए जाते रहे हैं? भारत के किन-किन लोगों को ये पुरस्कार मिल चुके हैं?
सोनल
फिलीपीन्स के पूर्व राष्ट्रपति रैमन मैगसायसाय के नाम से यह पुरस्कार अप्रैल 1957 से शुरू हुआ है। अंग्रेजी स्पेलिंग के कारण हम इसे मैगसेसे लिखते हैं। शुरू में यह पुरस्कार पाँच क्षेत्रों में काम करने पर दिया जाता था, जो इस प्रकार हैः-1.सरकारी सेवा,2.सार्वजनिक सेवा,3.सामुदायिक नेतृत्व,4.पत्रकारिता, साहित्य और सृजनात्मक संचार-कलाएं,5.शांति और अंतरराष्ट्रीय सद्भाव। सन 2001 में इसमें नव-नेतृत्व और जोड़ा गया। अब तक 35 से ज्यादा भारतीयों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैः-सीडी देशमुख, विनोबा भावे, जय प्रकाश नारायण, एमएस सुब्बुलक्ष्मी, सत्यजित राय, बाबा आम्टे, आर के लक्ष्मण, महाश्वेता देवी, मदर टेरेसा, वैल्दी फिशर, चंडी प्रसाद भट्ट, किरण बेदी, अरुणा राय, अरविन्द केजरीवाल।
पुरस्कार के विवरण और पुरस्कार पाने वालों की पूरी सूची के लिए विकीपीडिया में पढ़ें
जंतर-मंतर का निर्माण क्यों किया गया? क्या दिल्ली के अलावा यह कहीं और भी है?
रोमा
जंतर-मंतर वेधशाला है। यानी अंतिरिक्षीय घटनाओं के निरीक्षण का स्थान। दिल्ली में इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 में करवाया था। यह इमारत प्राचीन भारतीय अंतरिक्षीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का अच्छा उदाहरण है। जय सिंह ने ऐसी वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी किया था। ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं। सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से वक्त और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है। मिस्र यंत्र वर्ष के सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन को नाप सकता है। राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताता है।
बारिश कराने में पेड़ों की भूमिका क्या है
पेड़ वर्षा कराने में ही नहीं जमीन पर और वातावरण में पानी का प्रबंध करने का काम करते हैं। पेड़ों की जड़ों से पत्तियों तक पानी पहुँचने के बाद वातावरण में मिलता है। बरसात में जब बादल पानी लेकर आते हैं, तब ये बादलों को रोककर बरसने में मदद करते हैं। रेगिस्तान के ऊपर वातावरण सूखा होता है, पर जंगलों के ऊपर नमी होती है। पेड़ों की पत्तियों से निकला पानी बादल बनाने में भी मदद करता है। बारिश होने पर पेड़ अपने आसपास का पानी पूरी तरह बहने नहीं देते। उसे रोककर रखते हैं, जो बाद में काम आता है। नदियों के किनारे पेड़ नदी के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। पेड़ वातावरण में पानी और हवा के मिश्रण से ऐसी धुंध तैयार करते हैं, जो हमें धूप के तीखे रेडिएशन से बचाती है।
चेहरे पर बने मुहासों और झाइयों के निशान हटाने के घरेलू उपाय बताइए।
रेखा
चेहरे पर एक्ने त्वचा के छिद्र बंद होने के कारण बनते हैं। खासतौर से ऑयली स्किन में। त्वचा साफ रखें। विटामिन सी झुर्रियां दूर करने में सबसे अधिक लाभकारी हैं। विटामिन सी को एस्कोरबिक एसिड भी कहते हैं। हरी मिर्च, फूल गोभी, स्प्राउट्स, सन्तरा, कीवी फूट, स्ट्राबैरी, टमाटर, पत्तेदार, हरी सब्जियां, पपीता, आम, तरबूज, रसभरी और अनानास इत्यादि में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता हैं। कोलाजेन प्रोटीन त्वचा को लचीला रखने में मदद करता है और त्वचा को झुर्रियों से बचाता है। इसके संकलन में विटामिन सी की मुख्य भूमिका होती है। विटामिन ई से भी त्वचा की कोशिकाओं को बनाने में मदद मिलती हैं और इससे त्वचा को मजबूती भी मिलती हैं। झाइयों से बचने के लिए जरूरी है कि आप तेज धूप से बचें।
झाइयां दूर करने के लिए आप नींबू, हल्दी और बेसन का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगा सकते हैं। घरेलू उपाय अपनाते हुए आप घर में ही स्क्रब कर सकती हैं। स्क्रब के लिए जौ के आटे में दही, नीबू का रश और पोदीने का रस मिलाकर चेहरे पर 2 से 3 मिनट तक मलें और लगभग 5मिनट के बाद चेहरा धो लें। अनिंद्रा भी झाइयों का कारण हो सकती है । रात को सोने से पहले चेहरे को जरूर धोए। ताजा टमाटर काटकर, उसके रस से चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करने से झाईयां दूर होती हैं है। चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आपका अंदरूनी स्वस्थ रहना जरूरी है ऐसे में आपको कम से कम रोजाना 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए।
उपग्रह के प्रक्षेपण के समय उल्टी गिनती का क्या मतलब है?
देवेन्दर चौधरी, ग्राम फरमाना, हरियाणा
काउंटडाउन सिर्फ रॉकेट छोड़ने के लिए ही इस्तेमाल नहीं होता। बलिक् इसकी शुरुआत कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी में नौका प्रतियोगिता में हुई थी। सन 1929 में फ्रिट्ज लैंग की एक जर्मन साइंस फिक्शन मूवी Die Frau im Mond में चंद्रमा के लिए रॉकेट भेजने के पहले नाटकीयता के लिए काउंटडाउन दिखाया गया। पर अब इस काउंटडाउन का व्यावहारिक इस्तेमाल भी होता है। आमतौर पर एक सेकंड की क संख्या होती है। सिर्फ टक-टक करने से पता नहीं लगता कि कितने सेकंड बाकी है। संख्या सीधे-सीधे बोलने से वास्तविक समय का पता रकता है। टीवी चैनलों के कंट्रोल रूम में कुछ समय पहले तक पैकेज रोल करने के पहले काउंट डाउन होता था। विमान को कॉकपिट में भी होता है।
कृपया फाइटिंग फिश के बारे में बताइए।
गौतम पाणिग्रही, लोधी कॉलोनी, नई दिल्ली
फाइटिंग फिश या सियामीज़ फाइटिंग फिश छोटी मछलियाँ हैं, जो एक्वेरियम में रखी जा सकती हैं। इनकी प्रवृति आक्रामक होती है और अक्सर दर्पण में अपनी छवि से भी भिड़ जाती हैं। जब एक मछली हार मानकर पीछे हट जाती है तो भिड़ंत पूरी मान ली जाती है। यह मछली पाँच सेमी तक लम्बी और अनेक रंगों में मिलती है। यह दक्षिण पूर्व एशिया के थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया आदि स्थानों में मिलती है।
फाइटिंग फिश वीडियो
गायत्री, छतरपुर, दिल्ली
यह बच्चे का रोना नहीं है बल्कि नए वातावरण में प्रवेश की निशानी है। उसकी आवाज उसके जीवित होने की निशानी है। माँ के पेट में बच्चे को जीवित रहने वाली सभी चीजें गर्भनाल के माध्यम से मिल रहीं थीं। बाहर आते ही उसे साँस लेने की जरूरत होती है। फेफड़े काम करना शुरू करते हैं। बाहर का तापमान फर्क होता है। इस परिवर्तन की प्रतिक्रिया बच्चे की पहली आवाजों से होती है।
ई-पेपर क्या होता है? पहला ई-पेपर कौन सा था?
राजीव
इंटरनेट पर आप ज्यादातर चीज़ें एचटीएमएल फॉर्मेट में पढ़ते हैं। पर ई-पेपर इलेक्ट्रॉनिक पेपर है। जैसा अखबार आप कागज़ पर छपा देखते हैं वैसा ही डिजिटल पेपर। इसे पीडीएफ, जेपीजी या किसी दूसरे फॉर्मेट में फाइल के रूप सेव भी किया जा सकता है। दुनिया का पहला ई-पेपर फ्लेमिश दैनिक द तीज़्द (द टाइम्स) फरबरी 2006 में वितरित किया गया।
क्या आज भी ग्रामोफोन रिकॉर्ड या एलपी मिलते हैं? कुछ फिल्मों के नाम बताएं, जिनके हाल में एलपी जारी किए गए हों
भुवनेश
तकनीक ने इतना विकास कर लिया है कि एलपी रिकॉर्ड बहुत पीछे चले गए हैं, पर भारतीय संगीत जगत में आज भी रिकॉर्ड जारी करने की खबरें मिल जाती हैं। अस्सी के दशक में मैग्नेटिक टेप पर संगीत आ गया था। उसके बाद डिजिटल संगीत ने उसे भी खत्म कर दिया। फिर भी कुछ फिल्मों का संगीत एलपी पर भी जारी हो रहा था। 1991 में फिल्म साजन, 1998 में दिल तो पागल है, 2004 में वीर ज़ारा के एल पी जारी हुए। पिछले साल यानी 2010 में झूठा ही सही और फिर तारे ज़मीन पर, तीस मार खां, थ्री ईडियट्स, पटियाला हाउस के एलपी जारी हुए। एआर रहमान के वंदे मातरम का एलपी भी जारी हुआ। पर यह अब खत्म होता जा रहा है।
अभिनेता प्रदीप कुमार का असली नाम?
विकास, रुड़की
प्रदीप बतब्याल
मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम?
अंकुर, मेरठ
गौरांग चक्रवर्ती
धार्मिक कृत्यों में तिलक लगाने का चलन कब से शुरू हुआ?
अभिलाष
प्राचीन वैदिक ग्रंथों में भी माथे पर टीके का विवरण मिलता है। पर आगे चलकर तिलक अलग-अलग सम्प्रदायों की पहचान बन गया। वैष्णवों, शैव और शाक्तों के तिलक अलग-अलग प्रकार को होते हैं।
एफएम गोल्ड के कार्यक्रम बारिश सवालों की में शामिल सवाल
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