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कौन सा मदरबोर्ड खरीदेंगे

मदरबोर्ड चुनने से पहले यह भी निर्धारित करें कि आप अपने कम्प्यूटर पर कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम (ओ.एस.) डालना चाहते हैं.यह सुनिश्चित लर लें कि आप जो भी ओ.एस. डालना चाहते हैं उसमें आपके मदरबोर्ड,चिपसैट तथा कार्ड के ड्राइवर मौजूद हैं कि नहीं. जैसे कई बार नई टैक्नोलॉजी के मदरबोर्ड के ड्राइवर लिनक्स समर्थित नहीं होते तो यदि आप लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करना चाहते हैं तो इस प्रकार के मदरबोर्ड को खरीदने से आप परेशानी में पड़ सकते हैं.
मदरबोर्ड में जो सबसे प्रमुख चीज होती है वह है चिपसैट. मदरबोर्ड का यही वह हिस्सा है जो मदरबोर्ड की क्षमता घटाता या बढ़ाता है. यह भी विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाये जाते हैं. जैसे सिस (SiS), वाया(Via), एनवीडिया (nVedia), इन्टैल (Intel) आदि. खरीदते समय दुकानदार से यह पूछ लें कि जो चिपसैट आप ले रहे हैं वह मदरबोर्ड में समर्थित है या नहीं. अक्सर होता है कि नयी तकनीक के मदरबोर्ड पुराने चिपसैट के अनुरूप नहीं होते. तो यदि आप मदरबोर्ड लेने से पहले उसके निर्माता की वैबसाइट से जांच लें कि फलां चिपसैट समर्थित है कि नहीं तो आप बाद की परेशानियों से बच सकते हैं.
motherboard आजकल ऑन-बोर्ड कम्पोनेन्ट्स का चलन बढ़ गया है. इसका अर्थ है कि आजकल अधिकतर कार्ड जैसे साउंड कार्ड, नैटवर्क़ कार्ड आदि मदरबोर्ड के साथ लगे हुए ही आते हैं. पहले सारे कार्ड अलग अलग खरीदने पड़ते थे. इससे दामों में तो कमी हुई है लेकिन कई बार एक कार्ड के खराब होने पर पूरा मदरबोर्ड बदलना भी पड़ जाता है. हांलाकि आजकल बजार में मिलने वाले मदरबोर्ड काफी विश्वसनीय है और जल्दी खराब नहीं होते लेकिन जैसा मैने पहले कहा कि यह बिल्कुल खराब नहीं होंगे ऐसा नहीं कहा जा सकता.ऑनबोर्ड कार्ड्स के साथ कभी कभी यह परेशानी आती है कि यह वैसी क्षमता वाले नहीं होते जैसे कि अलग से लिये गये कार्ड्स होते हैं. तो यदि आप अपने कम्प्यूटर पर अच्छा वीडियो देखना चाहते हैं या उस पर उच्च गुणवत्ता का संगीत सुनना चाहते हैं तो बेहतर है कि आप ऑनबोर्ड कार्ड्स ना लेकर सारे हिस्से अलग अलग लें.
मदरबोर्ड से लेने से पहले यह देख लें कि आप की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद उसमें अपग्रेड के लिये कितनी जगह खाली है. विशेषकर एक्स्टैंसन स्लौट देखें ताकि आपको यदि अपने कम्प्यूटर की रैम बढ़ानी हो या कोई नया कार्ड लगाना हो,जैसे टी.वी.ट्यूनर कार्ड, तो आपके पास कितने स्लौट खाली है.
मदरबोर्ड आप बार बार नहीं बदल सकते.यह आपके कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसलिये जब भी मदरबोर्ड खरीदें सोच समझ कर खरीदें. खरीदने से पूर्व विक्रेताओं से बात करें. इंटरनैट पर मदरबोर्ड निर्माताओं की साइट पर स्पेशीफिकेशन देखें. यह भी ढूंढें कि कहीं किसी विशेष मदरबोर्ड पर प्रयोक्ताओं को कोई समस्या तो नहीं आ रही.लेकिन कभी कभी यह फायदे का सौदा भी हो जाता है. आप कहेंगे कैसे? चलिये मैं आपको अपने साथ हुई एक घटना बताता हूँ.
कोई 8-9 साल पुरानी बात है. तब विंडोज-98 (Windows-98) नया नया आया था. तकरीबन उसी समय लिनक्स (linux) जो मुक्त व मुफ्त ऑपरेटिंग सिस्टम है वह भी आया था. मैं अपने संस्थान के लिये एक कम्प्यूटर खरीदने की सोच रहा था जिसमें लिनक्स लोड कर देख सकूँ. उसी समय मुझे पता चला कि एक विशेष कंपनी का मदरबोर्ड और चिपसैट विंडोज-98 में समस्या पैदा कर रहा है लेकिन उस पर लिनक्स चल सकती है.यह भी पता चला कि उस कंपनी ने उस मॉडल के मदरबोर्ड वापस मंगा लिये हैं या उन्हे बहुत सस्ते में बेचने का निर्णय किया है. मैने उस मॉडल के बारे में पता किया तो एक विक्रेता के पास उपलब्ध था. उस समय उसका वास्तविक मूल्य कोई 21 हजार रुपया था लेकिन इस समस्या के कारण मुझे वह करीब नौ हजार में मिल गया. खरीदते समय विक्रेता ने कहा कि यदि कोई सोफ्टवेयर लोड करने में समस्या आई तो हमारी कोई जिम्मेवारी नहीं होगी ना ही हम इसे बदलेंगे. मैं उसका आशय समझ रहा था और वह समझ रहा था कि एक अच्छा मुर्गा फंसा जो कुछ दिनों में दूसरा मदरबोर्ड लेने उसके पास आयेगा. मैने वह मदरबोर्ड ले लिया. उस पर लिनक्स लोड की जो कई वर्षों तक उस मशीन में चलती रही.

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