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मोबाइल का रेडियेशन

एक समय था जब भारत में मोबाइल गिने-चुने लोगों के पास हुआ करता था. लेकिन साल 2000 के बाद मोबाइल के क्षेत्र में हालात बड़ी तेजी से बदले हैं. आज तो यह हालत है कि मोबाइल भारत में हर इंसान की जरूरत बन गया है. चाहे कोई बड़ा व्यापारी हो या छोटी क्लासों में पढ़ने वाले बच्चे यह मोबाइल आज सभी के पास मिल ही जाता है. लेकिन जिस मोबाइल को हम अपनी सुविधा का सबसे बड़ा स्त्रोत मानते हैं दरअसल वही कई स्थितियों में हमारे लिए जी का जंजाल भी बन सकता है. आज हम इस ब्लॉग में आपको मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन और उससे बचाव के बारे में बताएंगे:
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आज कई लोग मोबाइल के उपयोग में सावधानी न बरतने के कारण बीमार हो रहे हैं. आज के युवा ईयरफोन लगाकर तेज आवाज में गाने सुनने और दोस्तों से मोबाइल पर लंबी गपशप करने की वजह से अनजाने में ही बहरेपन और याददाश्त कमजोर होने की बीमारी के शिकार हो रहे हैं. आज ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
दरअसल इस सब की फसाद हैं मोबाइल से निकलने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक किरणें. यह किरणें हमारे याददाश्त और श्रवण शक्ति पर बड़ा गहरा आघात करती हैं.
मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए खतरा भी साबित हो सकता है. लेकिन कुछ सावधानियां बरती जाएं तो मोबाइल रेडिएशन से होने वाले खतरों से काफी हद तक बचा जा सकता है.
दूरी: मोबाइल पर बात करते समय आप मोबाइल को शरीर से जितना दूर रखेंगे उतना अच्छा है. इसके लिए आप चाहें तो ऐसे हेड-सेट्स यूज कर सकते हैं जिनमें ईयर पीस और कानों के बीच प्लास्टिक की एयर ट्यूब हो.
 
जेब में ना रखना: मोबाइल को हर वक्त जेब में रखकर न घूमें. इसके साथ ही न ही तकिए के नीचे या बगल में रखकर सोएं क्योंकि मोबाइल हर मिनट टावर को सिग्नल भेजता है. सबसे अच्छा होता है कि मोबाइल को जेब से निकालकर कम-से-कम दो फुट यानि करीब एक हाथ की दूरी पर रखें. सोते हुए भी दूरी बनाए रखें.

पेसमेकर लगा है तो सावधान!: अगर शरीर में पेसमेकर लगा है तो हैंडसेट से 1 फुट तक की दूरी बनाकर बात करें. शरीर में लगा डिवाइस इलेक्ट्रिक सिग्नल पैदा करता है, जिसके साथ मोबाइल के सिग्नल दखल दे सकते हैं. ऐसे में ये शरीर को कम या ज्यादा सिग्नल पहुंचा सकते हैं, जो नुकसानदेह हो सकता है. ऐसे में ब्लूटूथ या हैंड्स-फ्री डिवाइस के जरिए या फिर स्पीकर ऑन कर बात करें. पेसमेकर जिस तरफ लगा है, उस पॉकेट में मोबाइल न रखें.
 
मोबाइल कहां रखें: अधिकतर विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं के लिए मोबाइल को पर्स में रखना और पुरुषों के लिए कमर पर बेल्ट पर साइड में लगाए गए पाउच में रखना बेहतर होता है.
 
इसके साथ ही यह कुछ छोटे-छोटे अहम बचाव के तरीके निम्न हैं:
* ईयरफोन का इस्तेमाल कम से कम करें.
* ईयरफोन लगाकर तेज आवाज में गाने न सुनें.
* एक ही कान पर मोबाइल लगाकर ज्यादा देर तक बात न करें.
* ईयर फोन पर बात करते समय कुछ देर का अंतराल जरूर दें.

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