4 साल के अंदर मैमथ फिर जिंदा हो सकता है
ऊनी त्वचा वाले और हाथी जैसे दिखते मैमथ एक बार फिर जीवित हो सकते हैं. एक नई तकनीक की वजह से अब मैमथ के जीवाष्म से प्राप्त जीनोम से उसकी क्लोनिंग करना सरल हो गया है. यदि सब कुछ सही रहा तो 4 वर्ष के भीतर मैमथ एक बार फिर हमारे सामने खडे होंगे - जीवित.
मैमथ को फिर से जीवन देने का कार्य 90 के दशक से जारी है परंतु सफलता अभी तक नहीं मिल पाई है. मैमथ के अवशेष साइबेरिया के इलाके से मिले हैं. इन अवशेषों से प्राप्त स्नायूओं के कोष और न्यूक्ली के सहारे उसे जीवन प्रदान करने की कोशिश की गई परंतु साइबेरिया की भीषण ठंड की वजह से ये कोष खराब हो गए थे और इसकी वजह से यह सम्भव नहीं हो पाया.
परंतु अब एक नई उम्मीद बंधी है. जापाने के टेरहुको वाकायामा ने 16 साल से अत्यंत ठंडे वातावरण में रखे गए एक चूहे के कोष से एक अन्य चूहे की क्लोनिंग करने में सफलता प्राप्त की है. इस तकनीक के माध्यम से मैमथ के कोषों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
जापान की क्योटो विश्वविद्यालय के अकिरा इरिटानी ने इस बाबत कोशिशें शुरू कर दी है. वे इन गर्मियों में एक बार फिर साइबेरिया जाकर मैमथ के कोष एकत्र करेंगे. इसके बाद इन कोषों से प्राप्त न्यूक्ली को किसी अफ्रिकन हथिनी के गर्भाशय में स्थापित किया जाएगा और वह हथिनी एक मैमथ को जन्म देगी ऐसी उम्मीद है.
परंतु ये सारी प्रक्रियाएँ कम से कम 4 वर्ष की समयावधि के दौरान ही की जा सकेंगी. और इसमें सफलता मिलने की सम्भावना करीब 50% है.
मैमथ को फिर से जीवन देने का कार्य 90 के दशक से जारी है परंतु सफलता अभी तक नहीं मिल पाई है. मैमथ के अवशेष साइबेरिया के इलाके से मिले हैं. इन अवशेषों से प्राप्त स्नायूओं के कोष और न्यूक्ली के सहारे उसे जीवन प्रदान करने की कोशिश की गई परंतु साइबेरिया की भीषण ठंड की वजह से ये कोष खराब हो गए थे और इसकी वजह से यह सम्भव नहीं हो पाया.
परंतु अब एक नई उम्मीद बंधी है. जापाने के टेरहुको वाकायामा ने 16 साल से अत्यंत ठंडे वातावरण में रखे गए एक चूहे के कोष से एक अन्य चूहे की क्लोनिंग करने में सफलता प्राप्त की है. इस तकनीक के माध्यम से मैमथ के कोषों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
जापान की क्योटो विश्वविद्यालय के अकिरा इरिटानी ने इस बाबत कोशिशें शुरू कर दी है. वे इन गर्मियों में एक बार फिर साइबेरिया जाकर मैमथ के कोष एकत्र करेंगे. इसके बाद इन कोषों से प्राप्त न्यूक्ली को किसी अफ्रिकन हथिनी के गर्भाशय में स्थापित किया जाएगा और वह हथिनी एक मैमथ को जन्म देगी ऐसी उम्मीद है.
परंतु ये सारी प्रक्रियाएँ कम से कम 4 वर्ष की समयावधि के दौरान ही की जा सकेंगी. और इसमें सफलता मिलने की सम्भावना करीब 50% है.
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