5 'स ' सेक्स के लिए
नवविवाहित युगल को अपने सेक्स जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पडता है और कई दम्पत्ति ऐसे भी होते हैं जो विवाह के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अपने सेक्स जीवन से संतुष्ट नहीं होते. इसकी एक बडी वजह है - सेक्स इनकम्पेटिबिलिटी, यानी दोनों साथियों का सेक्स के प्रति अलग दृष्टिकोण होना.
इस समस्या से बचने या फिर इस समस्या के असर को कम करने के लिए सेक्स के इतर पाँच अन्य "स" पर ध्यान दें -
सोच:
सेक्स के प्रति अपनी सोच को बदलें. यदि आपको सेक्स के प्रति अरूचि है तो यह जानने की कोशिश करें कि क्या यह अरूचि अनावश्यक वजहों से तो नहीं है. कई धार्मिक गुरू ना ना प्रकार के धर्मग्रथों का हवाला देकर यह सोच हावी कर देते हैं कि सेक्स "गंदा" है और ब्रह्मचर्य ही उत्तम है. इस प्रकार की सोच दाम्पत्य जीवन में तनाव भर सकता है. सेक्स के प्रति सोच को बदलें. सेक्स जीवन का एक भाग है.
समझ:
आपसी समझ को बढाएँ. यदि रिश्तों में तनाव होगा तो सेक्स जीवन कभी भी तनावमुक्त नहीं बन पाएगा. आपके साथी को आपसे क्या उम्मीदें हैं वह जानें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें. अपने साथी के साथ खुल कर हर विषय पर बात करें. सेक्स के बारे में भी बात करते समय संकोच का अनुभव ना करें.
सवांद:
दाम्पत्य जीवन की सफलता के मूल में सवांद निहित है. सवांदहीन दाम्पत्य जीवन तनाव से भरा होता है और ऐसे में अच्छे सेक्स जीवन की कामना महत्वहीन हो जाती है. अपने साथी की भावनाओं को समझें और उनसे सवांद करते रहें.
सकारात्मकता:
सेक्स के प्रति सकारात्मक सोच रखें. अनावश्यक कुंठाओं और शर्म के दबाव में ना आएँ. कई बार अत्यधिक उत्तेजना भी गलत प्रभाव डाल सकती है. अपने शारीरिक आकार प्रकार के कारण अनावश्यक नकारात्मक सोच अपने मन पर हावी ना होने दें.
सहजता:
सेक्स के प्रति सहज रहें. यह एक नैसर्गिक क्रिया है और हर व्यक्ति में इसकी ईच्छा अलग अलग होती है. यदि आप सेक्स के प्रति अधिक उत्साहित नहीं है तो इसमें आपका दोष नहीं है. ऐसे में आपके साथी को चाहिए वह आपके मन में इसके प्रति चाह उत्पन्न करे. सेक्स का आनंद लिया जा सकता है परंतु इसे थोपा नहीं जा सकता और ना ही जबरदस्ती की जा सकती है.
इस समस्या से बचने या फिर इस समस्या के असर को कम करने के लिए सेक्स के इतर पाँच अन्य "स" पर ध्यान दें -
सोच:
सेक्स के प्रति अपनी सोच को बदलें. यदि आपको सेक्स के प्रति अरूचि है तो यह जानने की कोशिश करें कि क्या यह अरूचि अनावश्यक वजहों से तो नहीं है. कई धार्मिक गुरू ना ना प्रकार के धर्मग्रथों का हवाला देकर यह सोच हावी कर देते हैं कि सेक्स "गंदा" है और ब्रह्मचर्य ही उत्तम है. इस प्रकार की सोच दाम्पत्य जीवन में तनाव भर सकता है. सेक्स के प्रति सोच को बदलें. सेक्स जीवन का एक भाग है.
समझ:
आपसी समझ को बढाएँ. यदि रिश्तों में तनाव होगा तो सेक्स जीवन कभी भी तनावमुक्त नहीं बन पाएगा. आपके साथी को आपसे क्या उम्मीदें हैं वह जानें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें. अपने साथी के साथ खुल कर हर विषय पर बात करें. सेक्स के बारे में भी बात करते समय संकोच का अनुभव ना करें.
सवांद:
दाम्पत्य जीवन की सफलता के मूल में सवांद निहित है. सवांदहीन दाम्पत्य जीवन तनाव से भरा होता है और ऐसे में अच्छे सेक्स जीवन की कामना महत्वहीन हो जाती है. अपने साथी की भावनाओं को समझें और उनसे सवांद करते रहें.
सकारात्मकता:
सेक्स के प्रति सकारात्मक सोच रखें. अनावश्यक कुंठाओं और शर्म के दबाव में ना आएँ. कई बार अत्यधिक उत्तेजना भी गलत प्रभाव डाल सकती है. अपने शारीरिक आकार प्रकार के कारण अनावश्यक नकारात्मक सोच अपने मन पर हावी ना होने दें.
सहजता:
सेक्स के प्रति सहज रहें. यह एक नैसर्गिक क्रिया है और हर व्यक्ति में इसकी ईच्छा अलग अलग होती है. यदि आप सेक्स के प्रति अधिक उत्साहित नहीं है तो इसमें आपका दोष नहीं है. ऐसे में आपके साथी को चाहिए वह आपके मन में इसके प्रति चाह उत्पन्न करे. सेक्स का आनंद लिया जा सकता है परंतु इसे थोपा नहीं जा सकता और ना ही जबरदस्ती की जा सकती है.
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