गूगल को कंप्यूटर से ज्यादा मोबाइल फोन पर है भरोसा
दिग्गज सर्च इंजन कंपनी गूगल भारत में मोबाइल फोन के
जरिए पहुंच बढ़ाने क
ी कोशिश कर रही है। कंपनी का इरादा गैर-
अंग्रेजी भाषी लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोग्राम डेवलप करने का है। गूगल इंडिया ने हाल में एक एसएमएस आधारित एप्लीकेशन डेवलप किया है, जो क्षेत्रीय भाषाओं को पहचानता है। कंपनी ने साउंड बेस्ड प्रोग्राम भी डेवलप किया है। यह इस सेगमेंट के लिए बेसिक और कस्टमाइज्ड शहर आधारित सर्च का विकल्प मुहैया करेगा।
गूगल इंडिया के प्रोडक्ट मैनेजर जगजीत चावला ने ईटी को बताया, 'भारत में साल 2030 तक इंटरनेट की पहुंच सिर्फ 50 फीसदी जनसंख्या तक हो पाएगी। इसके विपरीत देश में 60 करोड़ मोबाइल फोन हो चुके हैं और इंटरनेट डाटा प्लान एक महीने में 100 रुपए में भी उपलब्ध हैं। एसएमएस चार्ज भी लगातार कम होता जा रहा है। इंटरनेट अभी भी देश की बड़ी जनसंख्या के लिए प्रासंगिक नहीं हो पाया है। इसलिए भारतीय संदर्भ में मोबाइल आधारित एप्लिकेशंस ज्यादा उपयोगी लग रहे हैं। इसी वजह से गूगल अपने एप्लिकेशंस में नई भारतीय भाषाओं को शामिल करने का प्रयास कर रही है।'
गूगल ने आवाज आधारित सर्च एप्लिकेशन तैयार किया है। यह एक ऐसा छोटा प्रोग्राम है, जिसे इंटरनेट प्लान इस्तेमाल करने वाले मोबाइल फोन पर लोड किया जा सकता है। इसमें हिंदी के सभी लहजों और भारतीय अंग्रेजी के 20 लहजों को सपोर्ट मिल रहा है। चावला ने बताया, 'गूगल में हम अन्य भारतीय भाषाओं से जुड़े आंकड़ों की प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं। वास्तव में हमें कोई नई स्थानीय भाषा जोड़ने के लिए कई लाख शब्दों की जरूरत पड़ती है। आंकड़ों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया जारी है। जब हमें पर्याप्त आंकड़े मिल जाएंगे तो हम अपने सभी एप्लिकेशंस में नई भाषाएं जोड़ सकेंगे।'
खासकर भारतीय लोगों के लिए जो वॉयस सर्च तैयार किया गया है, वह हिंदी एवं अंग्रेजी की मिश्रित ध्वनि को पहचान लेता है। इस वजह से इससे सर्च में आसानी होगी। चावला ने बताया, 'इस तरह के हर सर्च रिजल्ट को किसी ग्राहक के शहर के अनुसार कस्टमाइज किया जा सकेगा। इसमें उपभोक्ता ट्रेनों से जुड़ी जानकारी से लेकर मौसम तक की जानकारी हासिल कर पाएंगे।' चावला ने बताया, 'एसएमएस आधारित सर्च के लिए भी किसी इंटरनेट डाटा प्लान रखने वाले मोबाइल फोन की जरूरत होगी। जिस मोबाइल फोन से कोई जानकारी हासिल करने के लिए एसएमएस किया जाएगा, उसको सर्च इंजन जानकारी वापस एसएमएस के रूप में भेजेगा। इसका इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति अपने टिकट रिजर्वेशन की स्थिति से लेकर किसी शहर में दुकानों या अस्पतालों की तलाश तक में कर सकेगा।'
पर्सनल कंप्यूटरों के लिए गूगल ने हाल में ही सभी भारतीय भाषाओं से जुड़े आंकड़े इकट्ठा किए हैं। इसके तुरंत बाद कंपनी ने अपनी ट्रांसलिटरेशन सेवाएं शुरू कर दी हैं। ट्रांसलिटरेशन से कोई भी व्यक्ति सिर्फ स्थानीय भाषा और इंग्लिश टाइपिंग की जानकारी रखते हुए क्षेत्रीय भाषा में कुछ भी टाइप कर सकता है। टाइप करने वाले मैटर को गूगल स्थानीय भाषा में बदल देता है और उसके बाद इस आधार पर सर्च इंजन से जानकारी हासिल हो जाती है। सर्च इंजन गूगल ने हिंदी, तमिल, मलयालम और तेलुगू भाषाओं में भी लोकलाइज्ड समाचार देने शुरू किए हैं। चावला ने कहा, 'गैर अंग्रेजी भाषी लोग मोबाइल पर हिंदी या अपनी स्थानीय भाषा को टाइप करने के लिए अंग्रेजी स्क्रिप्ट का ही इस्तेमाल करते हैं। हम इस अवधारणा का इस्तेमाल करते हुए अपने सर्च अनुभव को गैर अंग्रेजी भाषी लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।'
जरिए पहुंच बढ़ाने क
ी कोशिश कर रही है। कंपनी का इरादा गैर-
अंग्रेजी भाषी लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोग्राम डेवलप करने का है। गूगल इंडिया ने हाल में एक एसएमएस आधारित एप्लीकेशन डेवलप किया है, जो क्षेत्रीय भाषाओं को पहचानता है। कंपनी ने साउंड बेस्ड प्रोग्राम भी डेवलप किया है। यह इस सेगमेंट के लिए बेसिक और कस्टमाइज्ड शहर आधारित सर्च का विकल्प मुहैया करेगा।
गूगल इंडिया के प्रोडक्ट मैनेजर जगजीत चावला ने ईटी को बताया, 'भारत में साल 2030 तक इंटरनेट की पहुंच सिर्फ 50 फीसदी जनसंख्या तक हो पाएगी। इसके विपरीत देश में 60 करोड़ मोबाइल फोन हो चुके हैं और इंटरनेट डाटा प्लान एक महीने में 100 रुपए में भी उपलब्ध हैं। एसएमएस चार्ज भी लगातार कम होता जा रहा है। इंटरनेट अभी भी देश की बड़ी जनसंख्या के लिए प्रासंगिक नहीं हो पाया है। इसलिए भारतीय संदर्भ में मोबाइल आधारित एप्लिकेशंस ज्यादा उपयोगी लग रहे हैं। इसी वजह से गूगल अपने एप्लिकेशंस में नई भारतीय भाषाओं को शामिल करने का प्रयास कर रही है।'
गूगल ने आवाज आधारित सर्च एप्लिकेशन तैयार किया है। यह एक ऐसा छोटा प्रोग्राम है, जिसे इंटरनेट प्लान इस्तेमाल करने वाले मोबाइल फोन पर लोड किया जा सकता है। इसमें हिंदी के सभी लहजों और भारतीय अंग्रेजी के 20 लहजों को सपोर्ट मिल रहा है। चावला ने बताया, 'गूगल में हम अन्य भारतीय भाषाओं से जुड़े आंकड़ों की प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं। वास्तव में हमें कोई नई स्थानीय भाषा जोड़ने के लिए कई लाख शब्दों की जरूरत पड़ती है। आंकड़ों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया जारी है। जब हमें पर्याप्त आंकड़े मिल जाएंगे तो हम अपने सभी एप्लिकेशंस में नई भाषाएं जोड़ सकेंगे।'
खासकर भारतीय लोगों के लिए जो वॉयस सर्च तैयार किया गया है, वह हिंदी एवं अंग्रेजी की मिश्रित ध्वनि को पहचान लेता है। इस वजह से इससे सर्च में आसानी होगी। चावला ने बताया, 'इस तरह के हर सर्च रिजल्ट को किसी ग्राहक के शहर के अनुसार कस्टमाइज किया जा सकेगा। इसमें उपभोक्ता ट्रेनों से जुड़ी जानकारी से लेकर मौसम तक की जानकारी हासिल कर पाएंगे।' चावला ने बताया, 'एसएमएस आधारित सर्च के लिए भी किसी इंटरनेट डाटा प्लान रखने वाले मोबाइल फोन की जरूरत होगी। जिस मोबाइल फोन से कोई जानकारी हासिल करने के लिए एसएमएस किया जाएगा, उसको सर्च इंजन जानकारी वापस एसएमएस के रूप में भेजेगा। इसका इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति अपने टिकट रिजर्वेशन की स्थिति से लेकर किसी शहर में दुकानों या अस्पतालों की तलाश तक में कर सकेगा।'
पर्सनल कंप्यूटरों के लिए गूगल ने हाल में ही सभी भारतीय भाषाओं से जुड़े आंकड़े इकट्ठा किए हैं। इसके तुरंत बाद कंपनी ने अपनी ट्रांसलिटरेशन सेवाएं शुरू कर दी हैं। ट्रांसलिटरेशन से कोई भी व्यक्ति सिर्फ स्थानीय भाषा और इंग्लिश टाइपिंग की जानकारी रखते हुए क्षेत्रीय भाषा में कुछ भी टाइप कर सकता है। टाइप करने वाले मैटर को गूगल स्थानीय भाषा में बदल देता है और उसके बाद इस आधार पर सर्च इंजन से जानकारी हासिल हो जाती है। सर्च इंजन गूगल ने हिंदी, तमिल, मलयालम और तेलुगू भाषाओं में भी लोकलाइज्ड समाचार देने शुरू किए हैं। चावला ने कहा, 'गैर अंग्रेजी भाषी लोग मोबाइल पर हिंदी या अपनी स्थानीय भाषा को टाइप करने के लिए अंग्रेजी स्क्रिप्ट का ही इस्तेमाल करते हैं। हम इस अवधारणा का इस्तेमाल करते हुए अपने सर्च अनुभव को गैर अंग्रेजी भाषी लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।'
जानकारी के लिये आभार !
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